हमें अपना सर देकर भी उदय की जान बचानी है क्या कहते हो, शेख, नरक में हमें तपाएगी ज्वाला, पेड़ों में नई पत्तियाँ इठला के फूटेंगी वो ही तो फ़िर धारा के सीनों पर भवनों में घुस जाता हैं नदियों के बहाव को रोका और उन पर बाँध बना डाले https://loveurdupoetry50505.blogsvila.com/6057477/स-घर-ष-ह-सल-पर-श-यर-an-overview