किसी तपोवन से क्या कम है मेरी पावन मधुशाला।।५४। अगर है कलंक वो समाज पर तो जिम्मेदार कौन है? क्यों नहीं अपनाते वो उन्हे, जी सके वो जिंदगी खुशहाल शुरुआत है बस ये निष्ठुर जाड़े के अंत का जहाँ कहीं मिल बैठे हम तुम़ वहीं गयी हो http://claytonrpjdy.blogolenta.com/8227729/5-simple-statements-about-स-घर-ष-ह-सल-पर-श-यर-explained