हम आध्यात्मिक प्रक्रिया को हर समय कैसे जारी रख सकते हैं, इस बारे में सद्गुरु एक प्रश्न का जवाब देते हैं और बताते हैं कि हमारी पसंद और नापसंद किस तरह हमें बांधती हैं। उच्च कोटि के साधक यक्षिणी में स्वरूप या तो माँ स्वरूप लेते है या पुत्री स्वरूप. https://www.youtube.com/watch?v=7yoEpl90KUg